
सामान्य परिचय:
- हिमालय पर्वत श्रृंखला भारत के उत्तर में एक विशाल पर्वत माला है।
 - हिमालय पर्वत की चौड़ाई 150 से 400 किलो मीटर तक है।
 - हिमालय पर्वत की लंबाई 2400 कि. मी. है।
 - यह पर्वत पश्चिम में ब्लूचिस्तान से लेकर पूर्व में बर्मा के अराकान योमा तक है।
 - हिमालय पर्वत श्रृंखला 5 लाख वर्ग किलो मीटर तक फैला है।
 - हिमालय की औसत ऊंचाई 6 हजार मीटर है।
 
हिमालय पर्वत की उत्पत्ति:
- भूगर्भिक संरचना की दृष्टि से हिमालय एक नवीन पर्वत श्रृंखला है।
 - हिमालय की उत्पत्ति लगभग ११-१२ करोड़ वर्ष पहले हुआ था।
 - हिमालय पर्वत से पहले यहां टेथिस सागर नाम का एक जलीय भू खण्ड था।
 - यह टेथिस सागर एक उथला सागर था।
 - उत्तरी भाग अंगारालैण्ड व दक्षिण में गोंडवानालैण्ड नामक भूखंड तथा बीच में टेथिस सागर था।
 - दक्षिण का गोंडवानालैण्ड धीरे-धीरे उत्तर की ओर खिसकता हुआ अंगारालैण्ड से टकरा गया और वलन या मोड़ पड़ने लगे जिससे हिमालय की उत्पत्ति हुई।
 - इस प्रक्रिया को अल्पाइन नाम दिया गया, क्योंकि यूरोप के अल्पास पर्वत का निर्माण भी इसी तरह हुआ था।
 
हिमालय पर्वत श्रृंखला का वर्गीकरण:
भौगोलिक दृष्टि से हिमालय का वर्गीकरण-
1. वृहद या महान हिमालय-
A. उत्पत्ति एवं विस्तार-
- आज से 11 करोड़ वर्ष पहले वृहद हिमालय का निर्माण हुआ था।
 - इसका विस्तार पश्चिम सिंधु नदी से पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक है।
 - इसकी चौड़ाई लगभग 150 किलोमीटर है।
 
- विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट(नेपाल) 8848 मीटर।
 - गौरीशंकर चोटी(नेपाल) 7,134 मीटर।
 - कंचनजंगा पर्वत(भारत) 8,598 मीटर।
 - धौलागिरी(नेपाल) 8,172 मीटर।
 - नंगा पर्वत 8,126 मीटर।
 
- जोजिला, काराकोरम, शिपकी, जेलेप्ला, नाथुला आदि दर्रे है।
 
- गंगा नदी, काली नदी, घाघरा, गण्डक, तीस्ता आदि है।
 
         
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| हिमालय के भौगोलिक वर्गीकरण का मानचित्र | 
2. लघु हिमालय-
A. उत्पत्ति एवं विस्तार-
- लघु हिमालय की उत्पत्ति आज से लगभग 6 करोड़ वर्ष पहले हुई थी।
 - लघु हिमालय वृहद और शिवालिक हिमालय के ठीक बीच में पाया जाता है।
 - इसकी चौड़ाई 65 से 80 किलोमीटर की है।
 - लघु हिमालय की औसत ऊंचाई 6,100 मीटर है।
 
- कश्मीर की पिरपंजाल श्रेणी
 - हिमालय की धौलाधार श्रेणी
 - मसूरी श्रेणी आदि है।
 
- कश्मीर घाटी
 - काठमांडू घाटी
 - पुनाखा घाटी प्रमुख है।
 
- स्लेट, चूना पत्थर, क्वार्ट्ज आदि प्रमुख गोंडवाना काल की चट्टानें है जिनमे जीवाश्म नहीं पाए जाते है।
 
3. बाह्य या उप हिमालय अथवा शिवालिक हिमालय-
A. उत्पत्ति एवं विस्तार-
- बाह्य या शिवालिक हिमालय की उत्पत्ति आज से लगभग 2.5 करोड़ वर्ष पहले हुआ था।
 - इसका विस्तार पंजाब से लेकर पूर्व में कोसी नदी तक फैला है।
 - इसकी चौड़ाई 10 मीटर से 50 मीटर तक है।
 - औसत ऊंचाई 1,220 मीटर है।
 
- शिवालिक हिमालय के दक्षिण में भारत विशाल मैदान स्थित है।
 - शिवालिक हिमालय और लघु हिमालय को अलग करने वाली कई महत्वपूर्ण घाटियां है।
 - इन घाटियों में पश्चिम में दून (देहरादून), पूर्व में द्वार (हरिद्वार) है।
 
4. ट्रांस या तिब्बत हिमालय-
- ट्रांस हिमालय हिमालय के सबसे उत्तर में है।
 - इसकी चौड़ाई लगभग पूर्व और पश्चिम में 40 किलोमीटर तथा बीच में 225 किलोमीटर है।
 - कुल लंबाई 965 किलोमीटर है।
 - यहां की जलवायु शीत कटिबंधीय है जिसके कारण यहां वनस्पतियां नहीं पाई जाती है।
 
इसकी दो प्रमुख शाखाएं है-
1. जास्कर श्रेणी-
- यह श्रेणी उत्तर में लद्दाख श्रेणी और दक्षिण में महान हिमालय के मध्य स्थित है।
 - प्रमुख नदियां डास और जास्कर है।
 - सबसे ऊंची चोटी कामेट ( 7,873 मीटर) है।
 - प्रमुख दर्रा किंगरी-बिंगरी, शालशाल है।
 
- इस श्रेणी की प्रमुख चोटियां माशरब्रुम, हरमोश, K2 है।
 
हिमालय का प्रादेशिक वर्गीकरण-
1. पंजाब हिमालय-
- सिंधु नदी से सतलज नदी के बीच 560 किलोमीटर दूर तक फैले क्षेत्र को पंजाब हिमालय कहते है।
 - इसमें ज्यादातर भाग जम्मू कश्मीर और हिमाचल का है।
 
         
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| प्रादेशिक वर्गीकरण का मानचित्र | 
2. कुमायूं हिमालय-
- कुमायूं हिमालय का विस्तार सतलज नदी से काली नदी के बीच में है।
 - इनके बीच की दूरी 320 किलोमीटर की है।
 - गंगा नदी व यमुना नदी इसी प्रदेश से निकलती है।
 
3. नेपाल हिमालय-
- काली नदी से तीस्ता नदी के बीच 800 किलोमीटर क्षेत्र में फैले भाग को नेपाल हिमालय कहते है।
 - इस भाग विश्व की ऊंची-ऊंची चोटी मिलती है।
 
4. असम हिमालय-
- तीस्ता नदी से दिहांग नदी के मध्य 720 किलोमीटर की दूरी में फैले हुए भाग को असम हिमालय कहा जाता है।
 - यहां का क्षेत्र पहाड़ी और वनाच्छादित है।
 
हिमालय पर्वत श्रृंखला के ग्लेशियर-
- सासाइनी (157 किलोमीटर)
 - हिस्पर (61 किलोमीटर)
 - बातुरा (57 किलोमीटर)
 - बल्टोरा (57 किलोमीटर)
 - बियाफो (59 किलोमीटर)
 - सियाचिन (72 किलोमीटर)
 - गंगोत्री (26 किलोमीटर)
 
हिमालय पर्वत श्रृंखला का महत्व (भारत के विशेष संदर्भ में)-
- सबसे बड़ा महत्व तो यह है कि हिमालय पर्वत श्रृंखला से कई सदा वाहिनी नदियां प्रवाहित होती है इन्ही नदियों से ही उत्तर भारत के विशाल मैदान की रचना हुई है।
 - हिमालय उत्तर (मुख्य रूप से साइबेरिया) से आने वाले शीतल हवाओं से भारत की रक्षा करता है।
 - हिमालय विभिन्न तरह की वनस्पतियां व जड़ी बूटियां पाई जाती है जो मानव और अन्य जीव जंतुओं के लिए लाभदायक है।
 - हिमालय में कई तरह के खनिज पाए जाते है। मुख्यतः चूना पत्थर, क्वार्ट्ज, स्लेट आदि पाए जाते है।
 - हिमालय धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है।