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वायुमंडलीय संरचना, परतें |Atmospheric structure, layers

वायुमंडल की सभी परतों का सामान्य अध्ययन
वायुमंडल की संरचना

वायुमंडल का संघटन:

1.गैस-

  • वायुमंडल में विभिन्न प्रकार की गैसें पाई जाती है। जिसमे से सबसे अधिक नाइट्रोजन, उसके बाद ऑक्सीजन, आर्गन, और कार्बन डाइऑक्साइड ये सभी प्रमुख गैस है।
  • यही चारो गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में 99.99% तक पाए जाते है।
  • बांकी के अन्य गैस बहुत ही के मात्रा में है जैसे हीलियम, ओजोन, हाइड्रोजन, जिनान आदि।
  • वायुमंडल में ऊंचाई, अक्षांश, ऋतु और समय के साथ गैसों की मात्रा बदलते रहती है।

वायुमंडल में प्रमुख गैसों का प्रतिशत
वायुमंडल में प्रमुख गैसों का प्रतिशत

इस तरह से इसे दो वर्गों में रखा जा सकता है-

(अ) स्थाई गैसें-

  • ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, निचले भागों में पाए जाते है।
  • आर्गन, हाइड्रोजन, नियॉन, भी स्थायी गैसें है लेकिन ये बहुत ही कम मात्रा में होते है।
  • लगभग 100KM की ऊंचाई ऑक्सीजन गायब हो जाता है और करीबन 125KM की ऊंचाई पर नाइट्रोजन समाप्त हो जाता है।

(ब) अस्थायी गैसें-

  • कार्बन डाइऑक्साइड व ओजोन अस्थयी गैसें है।
  • कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन वस्तुओ के अपघटन, चट्टानों के अपक्षय, ज्वालामुखी फटने या सक्रिय रहने से निकलने वाले धुएं से आदि से यह गैस बनता है। कार्बन डाइऑक्साइड वनस्पति के लिए बहुत ही अच्छा होता है क्यों इसे वनस्पतियां सोंख लेती है।
  • ओजोन गैस वायुमंडल के 15 से 37 KM की ऊंचाई पर ज्यादा पाया जाता है यह गैस सूर्य की पराबैंगनी किरणों से जो प्राणी जगत के लिए खतरनाक हो सकता है इससे रक्षा करता है।
  • इसके अतिरिक्त हाइड्रोजन व हीलियम भी अस्थायी गैसें है जो लगभग 150 KM की ऊंचाई पर पाया जाता है।
क्रमांक गैस प्रतिशत
1. नाइट्रोजन 78.03
2. ऑक्सीजन 20.99
3. आर्गन 00.93
4. कार्बन डाइऑक्साइड 00.03
5. नियोन 0.0018
6. हीलियम 0.0005
7. ओजोन 0.00006
8. हाइड्रोजन 0.00005
9. जिनोन 0.000009

2. जलवाष्प-

  • धरातल से लगभग 2 से 4 किलो मीटर की ऊंचाई पर हवाओं में जलवाष्प की मात्रा पाई जाती है।
  • जल वाष्प की मात्रा सभी जगह समान रूप से नहीं पाई जाती यह ऊंचाई के साथ काम होता है।
  • धरातल के नजदीक वायुमंडल के आयतन का 4% तथा भार 3% होता है।
  • जलवाष्प के कारण ही बादल, ओस, कुहासा, कोहरा बनता है और वर्षा, ओला, हिमपात होता है।

4. धूलकण-

  • वायुमंडल के संघटन में धूलकण का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण है।
  • धूलकण के कारण ही वायुमंडल में बादल, धुंध, कुहरा, और अन्य कई प्रकार के प्रतिरूपों का निर्माण होता है।
  • यह धूल कण पृथ्वी के धरातल में शुष्क क्षेत्रों से वायुमंडल में प्रवेश करते है।

वायुमंडल की विभिन्न परतें-

वायुमंडल की परतों का सामान्य रेखाचित्र
वायुमंडल की परतों का सामान्य रेखाचित्र

1.क्षोभ मण्डल-

क्षोभ मण्डल वायुमंडल की सबसे निचली परत है।

ऊंचाई-

भूमध्यरेखा पर इसकी ऊंचाई लगभग 18KM होती है तथा ध्रुवीय क्षेत्रों में लगभग 8 से 10 KM रह जाता है।

गैसें-

क्षोभ मण्डल में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।

जलवाष्प व धूलकण-

गैसों की तरह जलवाष्प तथा धूलकण भी अधिक पाया जाता है।

तापमान-

ऊंचाई के साथ तापमान घाटी जाती है प्रति 165 मीटर की ऊंचाई पर 1°C तापमान कम होता है।

2.क्षोभ सीमा-

  • यह क्षोभ मण्डल की ऊपरी सीमा है।
  • इसकी मोटाई 1 से 2 किलो मीटर तक है।
  • इस परत पर मौसम की परिवर्तनकारी शक्तियां काम नहीं करती यहां कोई बदलाव नहीं होता है यह परत शांत व स्थिर रहता है।

3. समताप मण्डल-

जिस स्थान में क्षोभ सीमा समाप्त होती है वहां से समताप मंडल की शुरुआत होती है।

ऊंचाई-

क्षोभ सीमा से लेकर लगभग 80 KM तक मानी जाती है।

गैसें-

ओजोन गैसें इस परत से शुरू होती है।

तापमान-

ऊंचाई के साथ तापमान समान रहता है।

विशेषता-

इस परत के नीचे भाग में जेट विमान उड़ा करती है।

4. ओजोन मंडल-

यह समताप मंडल की की ऊपरी सीमा है।

ऊंचाई-

इसकी ऊंचाई 30 से 60 KM से बीच पाई जाती है।

गैसें-

  • इस परत के नाम से ही स्पष्ट है कि इसमें ओजोन गैस की अधिकता है।
  • परंतु अभी के समय में वायुयान से निकले वाले नाइट्रोजन ऑक्साइड, क्लोरो फ्लोरो कार्बन भी मौजूद है।

तापमान-

  • इस परत का तापमान अधिक होता है।
  • ऊंचाई के साथ तापमान भी बढ़ता है। प्रति किलो मीटर 5 से 6 सें. ग्रे. तापमान बढ़ता है।

विशेषता-

  • इसकी सबसे बड़ी विशेषता तो यह है कि ये परत सूर्य के आने वाली हानिकारक पैराबैंगनी किरणों को सोख लेती है।
  • जिससे भूतल का तापमान प्राणी जगत के लिए हानिकारक रूप में नहीं बढ़ पाती है।

5. मध्य मण्डल-

ऊंचाई-

इस परत की ऊंचाई 50 से 80 KM तक होती है।

तापमान-

  • यहां ऊंचाई के साथ तापमान में गिरावट आती है।
  • 80 KM की ऊंचाई पर तापमान घटकर -100°C हो जाती है।

6. आयन मण्डल-

ऊंचाई-

इस परत की ऊंचाई 80 KM से शुरू होकर 600 KM तक होती है।

गैसें-

इस परत में गैस पाई जाती है लेकिन उन्हें ब्राम्हणीय किरणे अवशोषित कर लेती है।

तापमान-

  • ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता है।
  • 400 KM की ऊंचाई पर तापमान 1100°C तक बढ़ जाता है।

विशेषता-

  • इस परत में प्रकाश एवम ध्वनि का परावर्तन होता है।
  • जिससे रेडियो, टेलीविजन, और दूसरे तरह के संचार के साधन का सही से संचालन संभव हुआ है। 

7. बह्यमंडल-

  • इसको वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत कहा जाता है। यह 600 KM से लेकर कई किलो मीटर तक विस्तृत है।
  • यहां कुछ हल्की गैसें पाई जाती है। तापमान लगभग 5000°C से 6000°C तक होता है।

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Namaste! I'm sudhanshu. I have done post graduation in Geography. I love blogging on the subject of geography.

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