भूमिका:
- आज हमारी पृथ्वी पर यदि जीवन है तो उसका एक प्रमुख कारण जल है।
- कहा जाता है कि जल ही जीवन है।
- पृथ्वी के 70% भाग पर जल ही पाया जाता है किन्तु इसमें काफी अधिक मात्रा में लवणता यानी खारापन होता है जो इंसान के पीने लायक नहीं है।
- कई लोगो के मन में सवाल है कि बारिश का पानी कहा से आता है और बारिश कैसे होती है आज हम यही जानेंगे।
बारिश कैसे होती है?
- जब सूर्य की किरणे या उसके ताप से समुद्र जल गरम होने लगता है।
- तो वह जल भाप यानी जल सूक्ष्म कणों में बदल जाता है चुकी गर्म होने के कारण इसका घनत्व काम रहता है जिस कारण यह ऊपर उठने लगता है।
- आसमान में जाकर कई छोटे छोटे जल वाष्प के कण मिलने लगते है जिसे संघनन कि क्रिया कहते है।
- संघनन होने से यह बड़ी बूंद में बदल जाता है और इसका भार भी बढ़ जाता है भार बढ़ने से यह धरातल की ओर गिरने लगती है जिसे हम बारिश या वर्षा कहते है।
बारिश की प्रक्रिया |
वर्षा के प्रकार Types of Rainfall
A.संवाहनिक वर्षा (Convectional Rainfall)-
- जहां सूर्य का ताप सबसे ज्यादा होता है वहां के जल में वाष्पीकरण की क्रिया सबसे तेज़ी से होती है।
- जब जल भाप बनकर ऊपर उठने लगता है क्योंकि प्रति 1 किलो मीटर ऊंचाई पर तापमान 6.5°C कम होता जाता है और तापमान कम होने से जिससे संघनन कि क्रिया शुरू हो जाती है।
- आपेक्षिक आद्रता भी बढ़ता जाता है और वहां भारी बारिश शुरू हो जाती है।
- ऐसी वर्षा भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में होती है जैसे कि अमेजन बेसिन, कांगो बेसिन, मलेशिया, न्यूगिनी,आदि प्रमुख संवाहनिक वर्षा वाले क्षेत्र है।
- जहां प्रतिदिन बारिश होती है साथ है सबसे ज्यादा जैविविधता भी इसी क्षेत्र में पाया जाता है।
संवाहनिक वर्षा |
B. पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall) -
- जलवाष्प या आद्रता युक्त और गर्म हवाओं के बीच में यदि पर्वत आ जाता है।
- तो उसको पार करने के लिए हवाओं को ऊपर उठना पड़ता है जिससे ठंडी हवाओं के संपर्क में आने से पर्वत के पास भारी वर्षा होती है जबकि इसके विपरित बारिश कम होती है।जैसे कि भारत में मानसूनी हवाएं केरल से लेकर पूरे भारत में उत्तर भारत तक वर्षा होती है।
- परन्तु हिमालय पर्वत से जब टकराती है तब उत्तर भारत में काफी ज्यादा बारिश होती है यहां तक की बढ़ का सामना करना पड़ता है जबकि देश के अन्य भाग में कम बारिश होती है।
पर्वतीय वर्षा |
C. चक्रवाती वर्षा (Cyclonic Rainfall)-
- चक्रवात के आंतरिक भाग में जब भिन्न तापमान वाली पवने मिलती है।
- तो ठंडी पवने गर्म पवन को ऊपर की ओर उठा देती है ऊपर उठने पर हवाएं ठंडी हो जाती है और बारिश होने लगती है।
- यह गर्म पवने ओसांक को प्राप्त कर लेती है और संघनन से वर्षा होने लगती है इसे चक्रवाती वर्षा कहते है।
- इस प्रकार की वर्षा शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में होती है।
- शीत ऋतु में उत्तर में होने वाली वर्षा भी चक्रवाती होती है।
चक्रवातीय वर्षा |