वायुदाब की पेटियां:
1. भूमध्य रेखीय निम्न दाब पेटी-
- इस वायुदाब पेटी का विस्तार 10° उत्तरी अक्षांश से 10° दक्षिणी अक्षांश तक है।
- यहां वर्ष भर उच्च तापमान और वायुमंडल में जलवाष्प को अधिकता तथा पृथ्वी की दैनिक गति के कारण उत्पन्न अपकेंद्रीय बल के कारण वायुदाब कम रहता है।
- यहां संवाहनिक धाराएं चलती है।
- वायु गर्म होकर ऊपर उठ जाती है।
- इस क्षेत्र को शांत या डोलड्रम भी कहा जाता है।
वायुदाब पेटियां |
2. उपोष्ण कटिबंधीय उच्च दाब पेटी-
- इस पेटी का 30° से 35° में दोनो अक्षांशों पर विस्तार पाया जाता है।
- इस पेटी में उच्च वायुदाब के कारण निम्न है-
- यह पेटी शुष्क ग्रीष्म ऋतु वाले है और इन अक्षांशो का विस्तार मरुस्थलीय प्रदेशों में पाया जाता है।
- पृथ्वी की दैनिक गति के कारण उपध्रुवीय पेटी से वायु सिमट कर यह एकत्र हो जाता है। इससे वायुदाब बढ़ जाता है।
- वायुदाब अधिक होने के कारण प्राचीन काल में समुद्री नौकाओं से घोड़ों को फेंक दिया जाता था जिससे नौकाएं हल्की हो जाए। इसलिए इसे घोड़ों का अक्षांश (अश्व अक्ष) {Horse Latitude} कहा जाता है।
3.उपध्रुवीय निम्नदाब की पेटी-
- उत्तरी गोलार्ध्द में 60° उत्तर से 65° उत्तरी अक्षांश तथा 60° दक्षिण से 65° दक्षिणी अक्षांश तक विस्तार है।
यहां वायुदाब न्यून होने के निम्न कारण है-
- यह पेटी ध्रुवीय उच्च दाब पेटी तथा उपोष्ण उच्च दाब की पेटी के मध्य है जिसके कारण यहां निम्न दाब होना स्वाभाविक है।
- पृथ्वी की दैनिक गति के कारण यहां की वायु सिमट कर उपोष्ण उच्च दाब पेटी में चली जाती है जिसके कारण यहां निम्न दाब होता है।
- इस भाग में जल तथा स्थल भाग में पर्याप्त अंतर पाया जाता है इसलिए यहां वायुदाब में परिवर्तन होता रहता है।
4. ध्रुवीय उच्च दाब पेटी-
- इस पेटी का विस्तार उत्तर तथा दक्षिणी ध्रुव में पाया जाता है।
- यहां उच्च दाब होने के कारण वर्ष भर निम्न तापमान, शुष्क वायु एवं पृथ्वी की अधिक गुरुत्वाकर्षण है।