भूमिका:
- लगभग 600 ईसा पूर्व से लेकर 300 ईसा पूर्व का कालखंड यूनानी विद्वानों का स्वर्णकाल कहलाता है।
- यूनानी विद्वानों ने ही सबसे पहले भूगोल का नामकरण किया था।
- इन्होंने भूगोल के विभिन्न शाखाओं गणितीय भूगोल, खगोल विज्ञान, जलवायु विज्ञान, भू आकृति विज्ञान, समुद्र विज्ञान आदि के विकास में यूनानी दार्शनिक व विद्वानों का विशेष योगदान है।
यूनान के प्रमुख विद्वान-
1. होमर-
- इन्होंने दो महाकाव्यों इलियड व ओडीसी की रचना की थी।
- इन्होने बताया कि पृथ्वी का आकार गोल है।
- यह चारों ओर से सागरों से घिरा है।
- होमर ने चारों ओर आने वाली हवाओं के बारे में भी वर्णन किया है।
- जिसमे उन्होंने बताया है कि बोरेस उत्तर दिशा, नॉट्स दक्षिण दिशा, यूरस पूर्व दिशा जैफेरस पश्चिम दिशा।
2. थेल्स-
- थेल्स की योगदान गणितीय भूगोल के विकास में रहा है।
- इन्होंने ज्यामिति में अनेक प्रमेयों की रचना की है।
- वह पहले विद्वान थे जिन्होंने पृथ्वी को मापने के लिए पृथ्वी के अनेक स्थानों को अंकित करने का प्रयास किया।
3. एनेक्सीमेण्डर-
- एनेक्सीमेण्डर थेल्स का शिष्य था।
- जिन्होंने नोमेन यंत्र का अविष्कार किया था।
- यह यंत्र सूर्य घड़ी की तरह कार्य करने वाला यंत्र था।
- इन्होंने विश्व का प्रथम मानचित्र मापक के आधार पर बनवाया था।
- यह मानचित्र गोलाकार था जो चारों ओर से सागर से घिरा था।
4. हेकेरियस-
- हेकेरियस ने पीरियडस नमक ग्रंथ की रचना की थी।
- इन्होंने ने ही सबसे पहले पृथ्वी का एक क्रम में वर्णन किया था।
5. हेरोडोटस-
- यह एक इतिहासकार थे।
- इनका ऐतिहासिक भूगोल के विकास में काफी योगदान था।
- इनका कहना था कि भूगोल का अध्ययन इतिहास की तरह व्यवहार में करना चाहिए।
6. प्लेटो-
- प्लेटो का कहना था कि पृथ्वी चपटी नही वरन् यह वलयाकार या गोलाकार है।
- उनका कहना था कि पृथ्वी अंतरिक्ष के केंद्र में है और सभी आकाशीय पिंड इसका चक्कर लगाते है।
- यह सिद्धांत कापर निकस के सूर्य केंद्रीय सिद्धांत आने तक मान्य रहा था।
7. थियोफ्रेटस-
- यह अरस्तू का शिष्य था।
- इसका योगदान वनस्पति भूगोल के में रहा।
- इन्होंने वनस्पति तथा जलवायु की संबंद्धता का अध्ययन किया।
8. इरेटाॅस्थनीज-
- इरेटाॅस्थनीज को भूगोल के जनक के रूप में जाना जाता है।
- इन्होंने ही पृथ्वी के वर्णन के लिए ज्योग्राफी शब्द का प्रयोग किया।
- अक्षांश और देशांतर शब्द का सबसे पहले प्रयोग इन्होंने ही किया।
- पृथ्वी के जलवायु को पांच कटिबंधों में विभाजित किया-
- उष्ण कटिबंध-१, शीतोष्ण कटिबंध-१, शीत कटिबंध-२ ।
9. हिप्पाकर्स-
- हिप्पाकर्स एक खगोलशास्त्री तथा गणितज्ञ था।
- इसने सबसे पहले असीरियाई गणित के आधार पर वृत्त को 360° में बांटा।
- इन्होंने नक्षत्रों के अध्ययन के लिए एस्ट्रोलैब नमक यंत्र का अविष्कार किया।
- इसने दो प्रक्षेप बनाने की विधि भी बताई- समरूप प्रक्षेप, लंबरेखीय प्रक्षेप।
10. पोसिडोनियस-
- पोसिडोनियस का समुद्र विज्ञान के क्षेत्र में विशेष योगदान था।
- इसने The Ocean नामक पुस्तक लिखी थी।
- इन्होंने दीर्घ ज्वार व लघु ज्वार आने के कारणों को बताया है।
- इनका कहना था कि पूर्णिमा और अमावस्या के दिन सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी एक सीध में होने के कारण समुद्र में दीर्घ ज्वार आता है। और समकोण की स्थिति में आने से लघु ज्वार आते है।
- पोसिडोनियस ने महासागरों को गहराई भी ज्ञात की थी।
निष्कर्ष-
- उपर्युक्त सभी यूनानी विद्वानों को भूगोल के विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
- सभी विद्वानों को मुख्य केंद्र पृथ्वी का अध्ययन ही रहा है। इसी कारण सभी ने पृथ्वी में उपस्थित चारों ओर दिखने वाले वातावरण चाहे वह पेड़, पौधे हो या समुद्र, आकाश, सूर्य सभी के बारे में वैज्ञानिक और विस्तृत अध्ययन प्रस्तुत किया है।
- इसके अतिरिक्त जिस भूगोल का वर्तमान स्वरूप एक हमारे सामने प्रदर्शित है।
- इसका प्रारंभिक आधार तैयार करने में यूनानी विद्वानों को महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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