सामान्य परिचय:
- उत्तर भारत का विशाल मैदान हिमालय और प्रायद्वीपय पठार के बीच में पाया जाता है।
- इसकी लंबाई सिंधु नदी घाटी से ब्रम्हपुत्र तक 3,200 किलोमीटर में फैला है।
- भारत में इसकी लंबाई लगभग 2 हजार से 2.5 हजार किलोमीटर है।
- इस विशाल मैदान की चौड़ाई 150 से 500 किलोमीटर है।
- कुल क्षेत्रफल 7 लाख 75 हजार वर्ग किलोमीटर है।
- भारत के प्रमुख राज्य से उत्तर के विशाल मैदान के अंतर्गत आते है-
- पंजाब
- हरियाणा
- उत्तरी राजस्थान
- उत्तर प्रदेश
- दक्षिणी उत्तराखण्ड
- बिहार
- ओडिशा
- पश्चिम बंगाल
- असम
विशाल मैदान की उत्पत्ति के सिद्धांत:
- उत्तर के विशाल मैदान की रचना प्लिस्टोसिन हिमयुग में माना जाता है।
- हिमालय के उत्थान (भू आकृतियों के निर्माण या रचना की प्रक्रिया) के समय हिमालय व प्रायद्वीपय पठार के बीच में टेथिस सागर एक गहरे खाई के रूप वैसे ही कई वर्षो तक रह गया।
- लेकिन हिमालय से निकलने वाली नदियों ने धीरे-धीरे इस खाई को अपने द्वारा लाए गए अवसाद से भर दिया जैसे आज के दिखने वाले विशाल मैदान की रचना हुई।
- सुंदर वन डेल्टा का लगातार हो रहे विस्तार से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि मैदान निर्माण की यह प्रक्रिया अब भी जारी है।
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भारत के मानचित्र में मैदान का रेखांकन |
उत्तर के विशाल मैदान का प्रादेशिक विभाजन:
1. सिंधु सतलज का मैदान-
- इस मैदान का ज्यादातर हिस्सा अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है।
- बांकी का भाग भारत के पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर व पश्चिमी राजस्थान में फैला है।
सिंधु सतलज के मैदान को कुछ और भागों में बांट कर सरलता से अध्ययन किया जा सकता है-
A. पश्चिमी मैदान-
- इसका अधिकांश भाग पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांत में विस्तृत है।
- इसे सिंधु के मैदान नाम से भी जाना जाता है।
- पश्चिमी भाग भांगर से बना है और उत्तरी भाग मृतिका मरुस्थल है।
- साउथ के हिस्से में बलुई और दोमट मृदा से बना है।
- पूर्वी भाग सिंधु नदी का डेल्टाई है जो कच्छ की खड़ी में जाती है।
- क्षारीय झीलों को रन कहा जाता है जैसे 'कच्छ का रन' है।
B. पंजाब-हरियाणा मैदान-
- यह मैदान भारत के पंजाब-हरियाणा राज्य में फैला है।
- इस मैदान को सतलज, रावी, व्यास, झेलम और चीनाव नदियां बनाती है।
- ये मैदान इन पांच नदियों के द्वारा लाए गए अवसादों के जमा होने से बना है।
- धाया या खड्ड यहां की प्रमुख भू-आकृतियां है।
- प्राचीन काल में दो नदियां जिनका नाम सरस्वती और उसरवती थी जो वर्तमान समय में विलुप्त हो चुकी है।
- नदियों के बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र को 'बेट' कहते है और दो नदियों के बीच की भूमि को 'दोआब' कहते है।
- नदियों के बीच बने दोआब का नाम-
नदियां |
दोआब का नाम |
व्यास तथा सतलज |
विस्त जालंधर दोआब |
व्यास एवं रावी |
बारी दोआब |
रावी तथा चिनाब |
रचना दोआब |
चिनाब एवं झेलम |
चाज दोआब |
झेलम,चिनाब,सिंधु |
सिंध सागर दोआब |
C. राजस्थान का मैदान-
- अरावली के पश्चिमी भाग से लेकर भारत पाकिस्तान की सीमा तक इस मैदान का विस्तार है।
- इस मैदान का ज्यादातर मरुस्थलीय है जहां बालू के टीले की अधिकता है।
- यहां प्रमुख नदी लूनी है जो दक्षिण पश्चिम दिशा में कच्छ के रन की ओर बढ़ती है।
- यहां नमकीन झीलों की प्रधानता है जिसमे सांभर, डीडवाना, कुचामन और डेगना प्रमुख है।
- इसमें सांभर झील सबसे बड़ी है।
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सिंधु का मैदान |
2. गंगा का मैदान-
- गंगा का मैदान उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल राज्यों में लगभग 3 लाख 75 हजार वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है।
- इस मैदान की रचना गंगा और उसकी सहायक नदियों के द्वारा लाए गए कांप मृदा से हुई है।
नदियों के द्वारा लायी गई मिट्टी के आधार पर इस मैदान को निम्नलिखित भागों में बांट गया है-
A. भाबर प्रदेश-
- शिवालिक श्रेणी के दक्षिणी ढलानों पर पर नदियों द्वारा लाए गए बलुई मिट्टी को भाबर कहते है।
- भाबर की यह मिट्टी लगभग 8 किलोमीटर चौड़ी पट्टी में फैला है।
- इस मैदान को मिट्टी उपजाऊ नहीं है।
- इस मिट्टी नमी धारण क्षमता कम होती है।
B. तरई प्रदेश-
- भाबर प्रदेश के दक्षिण में तरई प्रदेश का विस्तार है।
- इस प्रदेश में ढाल की कमी है जिसके कारण यह क्षेत्र कुछ दलदल हो गया है।
- यह क्षेत्र उपजाऊ मिट्टी वाला है।
- यहां सघन कृषि की जाती है।
- यहां पर भूमिगत जल कम गहराई पर मिल जाते है।
C. बांगर प्रदेश-
- ये गंगा के मैदान का वह भाग है जहां नदियों ने प्राचीन संग्रहित मिट्टी को निक्षेपित (जमाव) किया है।
- इस क्षेत्र में चूना युक्त मिट्टियां पाई जाती है।
- बाढ़ का पानी यहां तक नहीं पहुंच पाता है।
- बांगर प्रदेश का विस्तार पंजाब व उत्तर प्रदेश में अधिक पाया जाता है।
D. खादर प्रदेश-
- यह नवीन कांप मिट्टी के निक्षेप से बना गंगा का निचला मैदान है।
- यह क्षेत्र वर्षा काल में बाढ़ से प्रभावित रहता है।
- यहां हर साल बाढ़ का पानी नवीन कांप मृदा की पतली परत जमा कर देता है।
- पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार व बंगाल में इसका विस्तार मिलता है।
3. ब्रम्हपुत्र का मैदान-
- इस मैदान का विस्तार पूर्व से पश्चिम तक असम के सदिया से धुबरी तक 640 किलोमीटर की लंबाई एवं 100 किलोमीटर की चौड़ाई में फैला है।
- इस मैदान का निर्माण ब्रम्हपुत्र एवं इसकी सहायक नदियों द्वारा लाए गए बालू से हुआ है।
- ब्रम्हपुत्र में बाढ़ अधिक आने के कारण यह अनेक शाखाओं में बंट जाता है।
- नदी मार्ग में अवरोध के कारण कई द्वीप बन गए है।
- ब्रम्हपुत्र नदी का अधिकांश भाग तिब्बत में है।