रूपांतरित चट्टानें | Metamorphic Rocks

रूपांतरित चट्टानें, तापीय कायांतरण, क्षेत्रीय रूपांतरण अथवा गतिक रूपांतरण,रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों की विशेषताएं
रूपांतरित चट्टानें

सामान्य परिचय:

  • पारतदार चट्टान एवं आग्नेय चट्टानों में परिवर्तन के फलस्वरूप रूपांतरित चट्टानों का निर्माण होता है। 
  • ताप तथा दबाव अथवा इन दोनों के प्रभाव के कारण आग्नेय तथा अवसादी चट्टानों की काया का रूप एवं उनके सामान्य लक्षण परिवर्तित हो जाते है।
  • इसीलिए इन चट्टानों को रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों की संज्ञा दी जाती है।
  • यह कायंतरण निम्नलिखित दो विधियों से होता है–

तापीय कायांतरण

1.तापीय कायांतरण–

  • भूपर्पटी में उपलब्ध ताप के प्रभाव से अथवा दरार तथा रिक्त संधियों से बहता हुआ मैग्मा के आकर भर जाने से उसके सामान्य लक्षण बदल जाते है।
  • इसे ही तापीय रूपांतरण कहते है।
  • ऐसे रूपांतरण पर्वतीय भागो में ज्वालामुखी के तप्त लावा से होता है जैसे– स्लेट फाइलाइट में बदल जाता है।

2.क्षेत्रीय रूपांतरण अथवा गतिक रूपांतरण– 

  • ताप वृद्धि एवं भूमि के संचरण से भारी दबाव उत्पन्न होता है।
  • उस पूरे क्षेत्र के चट्टानों को रूपांतरित कर देता है तब इसे क्षेत्रीय रूपांतरण कहते है।
  • इस प्रकार के परिवर्तन से चट्टानें रवेदार बन जाती है। इसके उदाहरण स्लेट, बलुआ पत्थर– क्वार्टजाइट‌, चूना पत्थर– संगमरमर में बदल जाता है।

रूपांतरित या कायांतरित चट्टानों की विशेषताएं–

  • ये कठोर होती है जैसे–संगमरमर।
  • इसमें रंध्र या छिद्र नहीं पाए जाते।
  • रावेदार होती है।
  • मूल्यवान खनिज इसी चट्टानों में होते है।
क्रमांक मूल चट्टान रूपांतरित
1. कोयला हीरा
2. ग्रेनाइट नीस
3. चूना पत्थर संगमरमर
4. गैब्रो सर्पेटाइन
5. बलुआ पत्थर क्वार्टजाइट
6. शैल स्लेट
7. स्लेट फाइलाइट

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Sudhanshu
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